श्रेष्ठ सोच को ही कोच बनाना होगा : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने हरिजन सेवक संघ द्वारा आयोजित सद्भावना सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में सहभाग कर सभी को सम्बोधित किया। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड ने कहा कि ‘महात्मा गांधी जी केवल एक नाम नहीं हैं, वे एक सोच, एक दर्शन और एक जीवन शैली हैं। उन्होंने कई पीढ़ियों और अनगिनत लोगों को प्रेरित किया है और करते रहेंगे। गांधी के सिद्धांत का पालन करते हुए हम मानवता की सेवा करने, स्वस्थ और सुखी जीवन जीने में सक्षम होंगे। गांधीवादी विचारों के साथ जीवन जीने से वर्तमान की सभी चुनौतियां चाहे संघर्ष हो, जलवायु परिवर्तन या अन्य सभी चुनौतियों का समाधान गांधीवादी विचारों निहित है। उन्होंने महात्मा गांधीजी के विचारों को साझा किया ‘अछूतों की सेवा करना मेरे जीवन का जुनून रहा है क्योंकि अगर इसमें अस्पृश्यता शामिल है तो मैं हिंदू नहीं हो सकता। गांधीवादी दर्शन और मूल्य हमारे जीवन पथ को आसान और प्रभावी बनाने हेतु मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास गांधीवादी विचार है न कि राजनीतिक, यह राष्ट्रीय विचार है। यह गांधी आश्रम का यह परिसर शिक्षा, प्रशिक्षण और सीखने का सकारात्मक केंद्र है। यह चेतना को शुद्ध करने, सद्भाव और उदात्तता पैदा करने का स्थान। मैं इस स्थान से पूरी तरह से प्रेरित, ऊर्जावान और इस काम को आगे बढ़ाने के लिए एक सोल्जर बनने के लिए तैयार हूं। उन्होंने डॉ अम्बेडकर का अंतिम भाषण साझा किया ‘राजनीतिक लोकतंत्र तब तक नहीं टिक सकता जब तक उसका आधार सामाजिक लोकतंत्र नहीं है।’ भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसमें योगदानकर्ता किसान और श्रमिक हैं और मुझे विश्वास है कि इस बार हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि गांधियन विचार किसी को डोमिनेट करने के लिये नहीं है बल्कि मोटिवेट करने के लिये है। गांधियन विचार भारत के जगद्गुरू बनने की यात्रा है इसलिये ऐसी श्रेष्ठ सोच को ही कोच बनाना होगा; इसी की कोचिंग सभी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के माध्यम से बच्चों को देनी होगी। स्वामी जी ने कोविड-19 वैक्सीन की चर्चा करते हुये कहा कि इस समय पूरे विश्व को हमारे ऋषियों द्वारा प्रदान किये गये वसुधैव कुटुम्बकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः आदि सूत्रों के वैक्सीन की जरूरत है; आज पूरे विश्व को गांधियन विचारों के वैक्सीन की जरूरत है क्योंकि यह वैक्सीन न केवल शारीरिक और मानसिक बल्कि हर बीमारियों को भी दूर करेगी। सभी को मिलकर गांधियन विचारों की वैक्सीन को सशक्त करना होगा। आगे आने वाले 10 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 10 वर्षो के पश्चात हम हरिजन सेवक संघ का 100 वां स्थापना वर्ष मनायेंगे। स्वामी जी ने कहा कि हम बहिरंग गांधीवाद से अंतरंग गांधीवाद की यात्रा शुरू करें और यह केवल कपड़े से नहीं बल्कि कर्मों से होगा; वाणी से नहीं बल्कि विचारों से होगा; सबको साथ लेकर होगा। गांधी जी ने हमें दिखाया कि बात साधनों की नहीं है बल्कि बात साधना की है; जीवन भवनों से नहीं बल्कि भावनाओं से महान बनता है। स्वामी जी ने कहा कि गांधी इज नेवर गान, गांधी इज आलवेज आन। इन्डिया इज नाट ए पीस आफ लैंड, इन्डिया इज लैंड आॅफ पीस। गांधी जी का जीवन क्रान्ति और शान्ति का संगम है; सफाई, सच्चाई और ऊँचाई की त्रिवेणी है गांधी जी का जीवन। डॉ शंकर सान्याल ने कहा कि “हरिजन का अर्थ है ईश्वर का पुत्र और महात्मा गांधी जी ने हाशिए पर और कमजोर समुदायों के उत्थान के लिए हरिजन सेवक संघ का संविधान लिखा था। मैं एचएसएस के प्रथम अध्यक्ष जीडी. बिडला के नेतृत्व की एक बड़ी अटूट पंक्ति का अनुसरण करता हूँ यह नेतृत्व का एक लंबा अखंड वंश है इसी के वंशज के रूप में मैं आज आपके सामने खड़ा हूँ। हरिजन सेवक संघ देश भर में फैले गांधीवादी संगठन का अग्रणी और सबसे बड़ा संगठन है, जो ग्रामीण विकास, शिक्षा, आर्थिक और कौशल विकास आदि क्षेत्रों में हर राज्य में काम कर रहा है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस परिसर में पूज्य बा कस्तूरबा गांधी के जीवित अवशेषों के साथ पहला और एकमात्र संग्रहालय और स्मारक है। यह संगठन एक प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक संस्था है और हम भारत सरकार से इस महान कार्य और सेवा को बनाए रखने के लिए समर्थन का अनुरोध करते हैं ताकि कोई भी पीछे न रहे।” स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने उपराष्ट्रपति और सभी विशिष्ट अतिथियों को हिमालय की भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।