वन अनुसंधान केन्द्र उत्तराखंड ने हल्द्वानी में डायनासोर पार्क विकसित किया

हल्द्वानी : वन अनुसंधान केन्द्र उत्तराखंड ने हल्द्वानी में डायनासोर पार्क विकसित किया है। पार्क में डायनासोर काल की वनस्पतियां संरक्षित की जा रही हैं। संरक्षित करने के लिए देशभर से डायनासोर युग की वनस्पतियों को जुटाया गया है। पार्क में देश विदेश से शोधार्थी वनस्पतियों के बारे में जानने और समझने के लिए पहुंच रहे हैं।डायनासोर के रहस्य के साथ उस काल की वनस्पतियों को लोगों से रूबरू कराने के लिए वन अनुसंधान केंद्र ने हल्द्वानी रेंज में जुरासिक पार्क तैयार है। पार्क में डायनासोर के स्टेचू रखने के साथ अधिक फोकस रिसर्च, संरक्षण और शोधार्थियों के उद्देश्यों को पूरा करने पर किया गया है। इन वनस्पतियों का सीधा संबंध जुरासिक युग से है। यानी या तो वो इन्हें खाते थे या फिर जुरासिक पीरियड में भी इनका अस्तित्व था।जुरासिक पार्क में बड़ी संख्या में छात्र पहुंच रहे हैं, जिन्हें यहां लगे बोर्ड के जरिये इनके बारे में पूरी जानकारी भी मिल रही है। केन्द्र के अंदर एक इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनाया गया है। असल में तो डायनासोर को इंसानों ने नहीं देखा लेकिन इस पार्क के जरिए लोगों को पता चल सकेगा कि आखिर डायनासोर क्या खाते थे।वन अनुसंधान केंद्र द्वारा लगाए गए बोर्ड के मुताबिक डायनासोर में शाकाहारी व मांसाहारी दोनो प्रजाति मिलती थी। शाकाहारी प्रजाति के ब्राचियोसोरस 26 मीटर लंबे और 62 टन वजन के थे। जो कि जिंको बाइलोबा प्रजाति के वनस्पतियों को भोजन के तौर पर लेते थे। वहीं, शाकाहारी स्पिनोसारस प्रजाति का सिर्फ सिर छह फीट लंबा था। मांसाहारी डायनासोरों में यह सबसे विशालकाय थे। माना जाता है कि यह बड़ी मछलियों को भोजन के तौर पर खाते थे।जुरासिक काल की ऐसी ही सात तरह की वनस्पतियों को वन अनुसंधान केंद्र ने रिसर्च के बाद जुरासिक पार्र्क में संरक्षित किया है। इसमें लिवरवॉटस, मॉस, गिंको, फर्न, साइकस, पाइन और आॢकड की प्रजाति शामिल है। फर्न और गिंको शुरुआती जुरासिक काल के प्रमुख पौधे थे.