अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को रखा जाता है

देहरादून। डाक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए अहोई माता की पूजा अर्चना करती है। इस व्रत को साल के सबसे कठोर व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं करवा चौथ की तरह की निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन माता अहोई की पूजा करने के साथ भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने का विधान है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 5 नवंबर 2023 को सुबह 12 बजकर 59 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 6 नवंबर को सुबह 3 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदया तिथि और तारा देखने के कारण अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवंबर को रखा जाएग।
अहोई अष्टमी 2023 तिथि- 5 नवंबर 2023, रविवार
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 33 मिनट से 6 बजकर 52 मिनट तक
अहोई अष्टमी 2023 पर तारा देखने का समय
तारा को देखने का शाम के समय- शाम 5 बजकर 58 मिनट पर।
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय का समय- 6 नवंबर को सुबह 12 बजकर 2 मिनट पर।
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को रखा जाता है, जो दिवाली से एक सप्ताह पहले पड़ता है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान के लिए रखती हैं। इस दिन अहोई माता की तस्वीर के साथ सेई और सई के बच्चों के चित्र की पूजा करने का विधान है। इस दिन कठोर व्रत रखने के बाद शाम को तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ने का विधान है।