महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर अर्पित की भावभीनी श्रद्धाजंलि
ऋषिकेश, 30 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और विख्यात रामायण व भगवत गीता के कथाकार रमेश भाई ओझा (भाई श्री) की स्नेहिल दिव्य भेंटवार्ता हुई। स्वामी और पूज्य भाई श्री ने पोरबंदर की धरती से महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। भाईश्री ने स्वामी को महात्मा गांधी जी की जन्मभूमि पोरबंदर, सुदामा पुरी आने के लिये आमंत्रित किया। दोनों पूज्य संतों ने श्री राम मन्दिर प्राण-प्रतिष्ठा के दिव्य, भव्य व नव्य आयोजन पर विशेष चर्चा करते हुये कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात प्रभु श्री राम का चरित्र व चित्र युवा पीढ़ी व आने वाली पीढ़ियों के जीवन का पाथेय बने इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अब समय राम से राष्ट्र की ओर बढ़ने का है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि महात्मा गांधी जी की जन्मस्थली पोरबंदर की धरती, सुदामापुरी से सांदीपनी गुरूकुल के संस्थापक ऋषि भाई श्री ने रामायण व भगवत गीता के माध्यम से पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का अद्भुत संदेश दिया है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचार प्रत्येक युग के लिये प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने विचारों से भारतीय सभ्यता की श्रेष्ठता को संपूर्णता और उत्कृष्टता के रूप में न केवल प्रस्तुत किया बल्कि उसे जिया। उन्होंने सत्य, अहिंसा, करुणा और शांति के दृष्टिकोण से न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को बदलने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी जी ने कहा कि भारतीय सभ्यता और दर्शन, मानवता युक्त व्यवहार और आत्मिक उन्नयन का संदेश देता है और महात्मा गांधी जी ने तो मानवता के सहज विकास का मार्ग दिखाया।कवि ‘दिनकर’ ने गांधी के बारे लिखा है कि-गांधी है कल्पना जगत के अगले युग की, गांधी मानवता का अगला उद्विकास है”। गांधी जी ने हाशिये पर स्थित समूहों व पीड़ित समुदायों के लिये न केवल आवाज़ उठाई बल्कि उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने का मार्ग दिखाया। गांधी जी ’सर्वधर्म समभाव’ का संदेश दिया जो वर्तमान युग में वैश्विक सद्भावना और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के रूप में साकार होते दिखायी दे रही है। स्वामी जी ने कहा कि गांधी जी स्वच्छता को स्वतंत्रता से भी अधिक महत्त्वपूर्ण मानते थे। वर्तमान समय में माननीय मोदी जी ने स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से गांधी जी के भावों को प्रत्यक्ष का दिखाया। गांधी जी ने उस समय ही नदियों में बढ़ती गंदगी पर चर्चा करते हुए लिखा था, “आधुनिक व्यस्त जीवन में तो हमारे लिये इन नदियों का मुख्य उपयोग यही है कि हम उनमें गंदी नालियाँ छोड़ते हैं और माल से भरी नौकाएं चलाते हैं। हम इन कार्यों से इन नदियों को मलिन से मलिनतर बनाते चले जा रहे हैं।” उन्होंने पर्यावरण के प्रति भी हम सभी को चेताया था कि “ऐसा समय आएगा जब अपनी ज़रूरतों को कई गुना बढ़ाने की अंधी दौड़ में लगे लोग अपने किए को देखेंगे और कहेंगे, ये हमने क्या किया?” गांधी जी का पर्यावरणशास्त्र भी अद्भुत था “धरती के पास सभी की ज़रूरतों को पूरा करने लिये पर्याप्त है, किंतु किसी के लालच के लिये नहीं”। गंाधी जी के ये सभी विचार हर युग और प्रत्येक पीढ़ी के लिये प्रासंगिक है। स्वामी जी और भाईश्री ने महात्मा गांधी जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित कर उनके विचारों को आत्मसात करने का संदेश दिया।