श्रृद्धालुओं ने लगाई श्रृद्धा की डुबकी
हरिद्वार। आज सोमवती अमावस्या के पावन पर्व पर भारत वर्ष से आए श्रृद्धालुओं ने मां गंगा के पवित्र घाटों पर श्रृद्धा की डुबकी लगाई।
सुबह की आरती समेत तड़के 4:40 बजे से 7:30 बजे तक हर की पैड़ी व आसपास घाटों की स्थिति देखने लायक थी, दूर दूर तक घाट पर श्रृद्धालुओं की भीड़ देखी गई। हर माह में आने वाली अमावस्या तिथि को सभी दिनों में विशेष माना जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा शांति के लिए पूजा पाठ से जुड़े कार्य किए जाते हैं, जिससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पितरों को प्रसन्न और उनका आशीर्वाद पाने के लिए अमावस्या तिथि पर स्नान, दान से जुड़े कार्य करने चाहिए। साल में 12 अमावस्याएं मनाई जाती हैं, जिनमें भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि को सबसे खास माना जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती हैं। हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि सोमवती अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या पर गंगा सहित सभी पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने और पितरों का तर्पण करने की परंपरा है। इस दिन किए गए दान (सोमवती अमावस्या दान) का विशेष महत्व है।