दशहरा शस्त्र और शास्त्र पूजन का दिव्य पर्व : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देशवासियों को दशहरा पर्व की शुभकामनायें देते हुये कहा कि भगवान श्री राम ने रावण का वध कर सभी को नैतिक पथ पर चलने के लिये प्रेरित किया। परोपकार, दया, करुणा, अहिंसा, ईमानदारी इत्यादि जीवन मूल्यों को धारण कर जीवन जीने का संदेश दिया। आज दशहरा के अवसर पर रावण को फूंके पर अपना हर कदम भी फूंक-फूंक कर रखें ताकि हमारे अंदर रावण का उदय ना हो बल्कि राम का उदय हो। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय दर्शन हमें नैतिकता का पालन करने का संदेश देता हैं। हमारे पर्व हमें नैतिक दायित्वों का पालन करने का मार्ग दिखाते हैं परन्तु संपूर्ण विश्व के प्रति संबद्धता का दिव्य भाव नैतिकता को अंगिकार कर ही महसूस किया जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि सच्ची नैतिकता वहीं है कि हम दूसरों की मदद करें जिसका संदेश दशहरा पर्व हमें देता हैं। स्वामी जी ने कहा कि पर्व और पर्यावरण का भी गहरा संबंध है क्योंकि पर्व प्रकृति के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का संदेश देते हैं। वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। मर्यादापुरूषोत्तम भगवान श्री राम ने अपनी 14 वर्षों की यात्रा में पर्यावरण संरक्षण, अन्याय पर न्याय की जीत, बुराई पर अच्छाई जीत का संदेश दिया। वे एक पूर्ण आदर्श चरित्र और धर्म के साक्षात दिव्य स्वरूप हैं। भगवान श्री राम करूणा के सागर है, उन्होने न केवल दीन, दुःखियों की तकलीफ को समझा बल्कि उनके दुःखोेेेेेें को दूर करने के लिये स्वयं समर्पित हो गये इसलिये तो कहा जाता है कि रामराज्य में भाईचारा और सद्भाव था। वे असहायों की सहायता के लिये हमेशा तैयार रहते थे, पीड़ितों, कमजोर एवं वंचित वर्गों को उनका अधिकार दिलाने एवं उनकी सहायता के लिये वे सदैव तत्पर रहते थे। भगवान श्री राम के जीवन का उद्देश्य ही दूसरों को खुशी देना है इसलिये तो वे समाज के वास्तविक ंस्वरूप से जुड़ पाये। चाहे शबरी हों, केवट हों गीधराज हों या निषादराज हों सभी को गले लगाया, प्रेम से झूठे बेर भी खाये। भगवान श्री राम की करूणा एवं त्याग की पराकाष्ठा अद्भुत है। उन्होंने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिये सर्वस्व त्याग कर वनगमन किया और राजकुमार से वनवासी बन गये। स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्री राम सनातन संस्कृति के उन्नायक है उन्होंने सभी मर्यादाओं का पालन करते हुये अपना हर कर्तव्य निभाया। उन्होंने पुत्र धर्म को निभाया तो पति धर्म को भी बखूबी निभाया, माता सीता की रक्षा, मर्यादा और सम्मान के लिये धर्मयुद्ध किया। आज जरूरत है नारियों के प्रति सम्मान की और उनकी रक्षा के प्रति सजग होने की। भगवान श्री राम ने धरती पर रहने वाले सभी प्राणियों को सम्मान, आदर और प्रेम दिया और भक्त और भगवान का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने सदैव ही राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा को ही सर्वोपरि माना, सत्य की सदा विजय होती है का संदेश दिया तथा उन्होंने पूरा जीवन समता और सद्भाव के सेतु बनाये और राष्ट्र सेतु का निर्माण किया। स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्री राम संयमित, संस्कारित और मर्यादित जीवन जीने वाले अद्भुत आदर्श हैं। सागर सी गहराई और हिमालय सा धैर्य युक्त जीवन है उनका। महाग्रंथ रामायण भगवान श्री राम की गौरव गाथा संघर्ष और साहस का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। श्री राम जी का जीवन अमृत की वह रसधार है जिसकी हर बूंद से एक महाग्रंथ लिखा जा सकता है। हम सौभाग्यशाली हंै कि प्रभु श्री राम हम सब के आराध्य हैं। प्रभु श्री राम की शरण, उनके चरण एवं उनका आचरण हमारे जीवन का पाथेय बने इन्हीें भावनाओं के साथ दशहरा पर्व मनायें और श्रेष्ठ संस्कारों से आने वाली पीढ़ियों को पोषित करें।