आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू, सीएम ने वर्चुअल किया संबोधित
नैनीताल : मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्य आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं। इन राज्यों में बादल फटना, हिमस्खलन, वनाग्नि जैसे खतरे बढ़ रहे हैं। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं तो पानी के स्रोत भी सूख रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की समस्या की वजह से धरती का तापमान बढ़ रहा है। इन परिस्थितियों में पर्वतीय राज्यों की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। उत्तराखंड ने केदारनाथ जैसी आपदा से बड़ा सबक सीखा है।सीएम ने आपदा प्रबंधन के मामले में कार्यशालाओं का लाभ ग्रामीण स्तर तक ले जाने पर जोर देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन की एक प्रणाली विकसित की जानी चाहिए। कार्यशाला में थ्योरी के बजाय प्रेक्टिकल आधारित निष्कर्ष निकाले जाएं ताकि आपदा के खतरों को कम किया जा सके। सीएम ने आपदा प्रबंधन पर प्रधानमंत्री मोदी के दस सूत्रीय एजेंडा का प्रभावी क्रियान्वयन पर भी जोर दिया।मुख्यमंत्री डा. आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनडीएमसी) दिल्ली की ओर से प्रायोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। सीएम ने इस दौरान एटीआइ में 247 लाख रुपये से कराए गए पुनर्निर्माण कार्यो का भी लोकार्पण किया।इससे पहले मुख्य अतिथि विधायक सरिता आर्य, अकादमी के डीजी बीपी पांडे, एनडीएमसी के ताज हसन, कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो एनके जोशी, प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट, कमिश्नर दीपक रावत, पद्मश्री शेखर पाठक ने कार्यशाला का दीप जलाकर संयुक्त रूप से शुभारंभ किया। विधायक सरिता ने स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग देने का सुझाव दिया। कमिश्नर रावत ने पिंडारी ग्लेशियर की यात्रा के अनुभव बताते हुए आपदा प्रबंधन के मानकों में संशोधन पर जोर दिया ताकि ग्रामीणों को अधिकाधिक सहायता मिल सके।उद्घाटन सत्र का संचालन हेमंत बिष्ट ने किया। इस अवसर पर बागेश्वर डीएम रीना जोशी, एनडीएमसी के नोडल प्रो. संतोष कुमार, प्रो. पीसी तिवारी, विवेक राय समेत हिमालयी 11 राज्यों के करीब दो सौ प्रतिभागी उपस्थित रहे।