काशीपुर-धामपुर वाया जसपुर रेल लाइन फाइलों में कैद

काशीपुर। काशीपुर-धामपुर वाया जसपुर रेल लाइन निर्माण का कार्य लगभग 12 वर्षों से फाइलों में कैद होकर रह गया है। सर्वे के बाद 60 किमी लंबी लाइन के लिए साढ़े 12 करोड़ रुपये के बजट का अनुमान था लेकिन तब यूपी और उत्तराखंड राज्य की सरकारों में तालमेल नहीं होने के कारण योजना परवान नहीं चढ़ सकी और काशीपुर-धामपुर रेल लाइन सर्वे में ही उलझ कर रह गई।उत्तराखंड के विकास के लिए महत्वपूर्ण काशीपुर-धामपुर वाया जसपुर रेल लाइन का वर्ष 2011 में सर्वे और फिर लगभग चार साल पहले दोबारा सर्वे होने के बाद भी अधर में लटक गया है। राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने लगभग 4-5 साल पहले तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी। उन्होंने बताया था कि गढ़वाल और कुमाऊं के बीच काठगोदाम से दून जाने वाला रेल मार्ग रामपुर-मुरादाबाद होकर जाता है। मुरादाबाद व्यस्त जंक्शन होने के कारण ट्रेनों को कई-कई घंटे आउटर पर खड़े रहना पड़ता है। यदि काशीपुर-धामपुर वाया जसपुर रेल लाइन बन जाए तो यात्रा सुगम हो जाएगी। काशीपुर से धामपुर के बीच लगभग 60 किमी नई रेल लाइन का निर्माण होने से यात्रियों की लगभग 50 किमी दूरी कम हो जाएगी। दो घंटे का समय भी बच जाएगा। कुमाऊं-गढ़वाल के बीच यात्रा की दूरी भी घट जाएगी। काशीपुर व धामपुर रेल जंक्शन का विस्तार होने से स्थानीय व्यवसायिक गतिविधियां भी बढ़ जाएगी।रेल आंदोलन के अगुवा बाजपुर निवासी केशव पासी ने कहा कि राज्य गठन के दौरान ही काशीपुर-धामपुर के बीच नई रेल लाइन का निर्माण होना चाहिए था लेकिन राज्य सरकारें गंभीर नहीं रहीं। काठगोदाम-काशीपुर के बीच लगभग 85 किमी लंबा रेलखंड एक तरह से निष्क्रिय है यदि काशीपुर-धामपुर के बीच नई रेल लाइन बन जाती तो कुमाऊं-गढ़वाल मंडल जुड़ जाते। राज्य सरकार ऋषिकेश-कर्णप्रयाग और टनकपुर-बागेश्वर के बीच रेल लाइन बनाने को प्रयासरत रही। कई बार काशीपुर-धामपुर के बीच रेल लाइन जोड़ने की मांग हो चुकी है।काशीपुर-धामपुर के बीच नई रेल लाइन को लेकर दो बार सर्वे तो हो चुका है। अब किन कारणों से इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका, इसकी जानकारी नहीं है।