शीर्ष 50 स्वच्छ शहरों में शामिल होने का नगर निगम देहरादून का सपना नहीं दिख रहा साकार होता
देहरादून: देश के शीर्ष 50 स्वच्छ शहरों में शामिल होने का नगर निगम देहरादून का सपना साकार होता नहीं दिख रहा है। पिछले चार वर्ष से भले ही नगर निगम की रैकिंग सुधरी हो, लेकिन इस बार सर्वेक्षण में निगम को बड़ा झटका लग सकता है।दरअसल, सर्वेक्षण के लिए दून पहुंची केंद्र सरकार की टीम ने जब गुरुवार को शीशमबाड़ा प्लांट का निरीक्षण किया तो वहां कूड़े के पहाड़ और गंदगी देख टीम ने कड़ी नाराजगी जताई। टीम के अधिकारियों ने यह तक कहा कि करोड़ों रुपये के प्लांट का क्या हाल कर रखा है।कूड़ा निस्तारण के बाद बचने वाले अवशेष के लिए 16 करोड़ लागत से 15 वर्ष की क्षमता वाला जो लैंडफिल बनाया गया था, वह चार गुना भर चुका है। कूड़ा निस्तारण के बाद बनाई जा रही लाखों टन खाद भी प्लांट के भीतर ही सड़ रही है।देश में चल रहे स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 के तहत केंद्रीय टीम मंगलवार को दून आई थी। पहले दो दिन टीम ने शहर में चल रहे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, नगर निगम के कूड़े के उठान की व्यवस्था व शहर में कूड़ेदानों की स्थिति की जांच की। इसके साथ ही जनता से फीडबैक भी लिया। टीम ने शहर में बने सार्वजनिक शौचालयों और खुले में शौच से जुड़े पहलुओं की पड़ताल भी की।सर्वेक्षण के तीसरे दिन गुरुवार को टीम शीशमबाड़ा पहुंची और प्लांट के बुरे हाल देखकर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर आनलाइन रिपोर्ट जमा कर दी। टीम के संग गए सहायक नगर आयुक्त एसपी जोशी एवं सफाई निरीक्षक मनीष दयियाल को टीम ने कहा कि प्लांट में कूड़े के पहाड़ बन गए हैं और नगर निगम क्या करता रहा।निगम की ओर से बताया गया कि नवंबर में ही दूसरी कंपनी को प्लांट संचालन का काम मिला है और इसमें कूड़े के पहाड़ व खाद को बाहर करने के प्रयास किए जा रहे। केंद्रीय टीम ने कहा कि लैंडफिल 15 साल की मियाद का था, मगर यह प्लांट शुरू होने के कुछ माह में ही ओवरफ्लो हो गया। निगम ने प्लांट में सुधार के प्रयास क्यों नहीं किए।